अखिलेंद्र कुमार
बिहारशरीफ(अपना नालंदा)।नालंदा जिले के चर्चित अल्पसंख्यक संस्थान सोग़रा +2 उच्च विद्यालय में बिना परीक्षा आदेशपाल और लिपिक पद पर बहाली को लेकर विवाद गहरा गया है। इस मामले में पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) पर नियमों की अनदेखी कर मनमाने ढंग से नियुक्तियां करने का आरोप लगाया गया है। आरोप लगाने वाले राष्ट्रीय वादी कांग्रेस पार्टी के जिला महासचिव मो. रईश अहमद ने पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
रईश अहमद ने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान स्थानीय लोगों से जानकारी मिली कि विद्यालय में की गई बहालियों में भारी अनियमितता हुई है। बताया गया कि पूर्व में निकाले गए बहाली विज्ञापन सरकार की गाइडलाइन के खिलाफ थे। इसे लेकर कई अभ्यर्थियों ने शिक्षा विभाग में आपत्ति दर्ज कराई है, जिसकी जांच फिलहाल चल रही है।
उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व डीईओ नालंदा ने स्थानांतरण से ठीक पहले बिना परीक्षा और वैध प्रक्रिया के दो आदेशपाल और दो लिपिक की नियुक्ति को अनुमोदित कर दिया, जो भ्रष्टाचार का स्पष्ट संकेत है।
रईश अहमद के अनुसार, बहाली का विज्ञापन ऐसे अखबारों में प्रकाशित किया गया, जो बिहार में उपलब्ध ही नहीं होते — जैसे राष्ट्रीय सागर और अजीज तंजीम। इस कारण अधिकांश योग्य उम्मीदवार आवेदन से वंचित रह गए। इसके अलावा, आदेशपाल पद के लिए केवल आठवीं पास की योग्यता निर्धारित करना भी सरकारी नियमों के विरुद्ध बताया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि नियुक्ति प्रक्रिया में विद्यालय प्रबंध समिति के रिश्तेदारों को प्राथमिकता दी गई। उदाहरण स्वरूप, समिति के अध्यक्ष सुलतान अंसारी के साले मोहम्मद इसलाम को आदेशपाल और सचिव के करीबी मो. सईदु जफर को लिपिक नियुक्त किया गया।
सबसे गंभीर आरोप विद्यालय के सचिव मो. अफताब आलम को लेकर लगाए गए हैं। उनके खिलाफ राजगीर थाना कांड संख्या 139/15 में हत्या और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है। आरोप है कि वह लंबे समय तक फरार रहे, इसके बावजूद फरारी की अवधि के दौरान ही उन्हें सचिव बना दिया गया। उनका कार्यकाल 16 जून 2025 को समाप्त हुआ, लेकिन बहाल कर्मियों को 27 मई को नियुक्ति पत्र और 17 जून को डीईओ से अनुमोदन मिला — जिससे नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि इसी विद्यालय में शिक्षकों की बहाली को लेकर मो. अली अरमान द्वारा पटना उच्च न्यायालय में CWJC 5421/2025 के तहत याचिका दाखिल की गई है, जिस पर सुनवाई लंबित है।
रईश अहमद ने इस मामले को लेकर अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री, बिहार सरकार को ज्ञापन सौंपते हुए निष्पक्ष जांच और बहाली में गड़बड़ी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।