भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर ट्रस्ट एक्ट उल्लंघन और कॉलेज कब्जा का आरोप, जन सुराज ने इस्तीफे की मांग की

Written by Subhash Rajak

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संजय कुमार
बिहारशरीफ (अपना नालंदा)।जन सुराज पार्टी के जिला संगठन पदाधिकारियों ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि दिलीप जायसवाल ने किशनगंज स्थित माता गुजरी मेडिकल कॉलेज (MGM) पर ट्रस्ट एक्ट और रजिस्ट्रेशन एक्ट का उल्लंघन कर अवैध कब्जा किया है और पिछले 25 वर्षों से इस अल्पसंख्यक सिख कॉलेज को निजी लाभ के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।

जिला अभियान समिति के संयोजक संजीव कुमार ने आरोप लगाया कि MGM कॉलेज के असली संस्थापक सरदार मोलेश्वर सिंह हैं, जिनके पुत्र करतार सिंह और गुरुदयाल सिंह ट्रस्टी थे। लेकिन दिलीप जायसवाल ने धोखे से दोनों को ट्रस्ट से बाहर कर स्वयं कॉलेज के डायरेक्टर पद पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट में दो-तिहाई सदस्य सिख समुदाय से होने चाहिए, लेकिन इस नियम की भी खुलकर अवहेलना की गई है।

जिला महिला अध्यक्ष पूनम सिन्हा ने आरोप लगाया कि दिलीप जायसवाल ने 50 से अधिक नेताओं और अधिकारियों के बच्चों को मैनेजमेंट कोटे से एमबीबीएस में दाखिला दिलवाया और उन्हें डिग्री भी दिलवाई। उन्होंने इसे सत्ता और रसूख के गलत इस्तेमाल का उदाहरण बताया।

प्रदेश सह संयोजक (चुनाव अभियान समिति) विपिन यादव ने खुलासा किया कि राजेश साह की हत्या के मामले में दिलीप जायसवाल को क्लीन चिट देने वाले पुलिस अधिकारी की पत्नी ने भी उसी MGM कॉलेज से MBBS की डिग्री हासिल की, जिससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।

प्रवक्ता चंद्र उदय कुमार ने कहा कि इस मामले में सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि राजद भी उतना ही दोषी है। उन्होंने बताया कि कॉलेज पर कब्जे की शुरुआत राजद के शासनकाल में हुई थी और तब से लेकर आज तक राजद ने कभी इसका विरोध नहीं किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि लालू यादव के साले के कई परिवारजनों को भी इसी कॉलेज से MBBS की डिग्री दिलवाई गई है।

जन सुराज पार्टी ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:
कॉलेज के असली ट्रस्टी परिवार, यानी सरदार मोलेश्वर सिंह के परिजनों को कॉलेज की जिम्मेदारी वापस सौंपी जाए।
राजेश साह हत्याकांड की दोबारा निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
मामले की गंभीरता को देखते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल तत्काल इस्तीफा दें।

पार्टी पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ कॉलेज पर कब्जा या भ्रष्टाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि किस प्रकार सत्ता और निजी हित के लिए सभी प्रमुख राजनीतिक दल — भाजपा, जदयू और राजद — एक-दूसरे से हाथ मिला लेते हैं।

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