लोकायन नदी का तटबंध टूटा, दर्जनों गांवों में घुसा बाढ़ का पानी; किसानों और पशुपालकों की बढ़ी मुश्किलें

Written by Subhash Rajak

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अपना नालंदा संवाददाता
करायपरसुराय। झारखंड में हो रही लगातार बारिश का असर अब नालंदा जिले में भी दिखने लगा है। करायपरसुराय प्रखंड क्षेत्र के मकरौता व बेरमा पंचायतों से गुजरने वाली लोकायन नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण गुरुवार देर रात नदी का तटबंध कई जगहों पर टूट गया, जिससे दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है।

शुक्रवार सुबह तक मकरौता पंचायत के कमरथु, फतेहपुर और मुसाढी गांवों के लगभग 70 घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया। ग्रामीण ऊंचे स्थानों या दोमंजिला मकानों में शरण लिए हुए हैं। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कमरथु और फतेहपुर गांवों में राहत शिविर की शुरुआत कर दी है।

बेरमा और कमरथु के समीप लोकायन नदी का तटबंध लगभग 70 से 80 फीट तक टूट गया है। इसका असर मकरौता पंचायत के मुसाढ़ी, सबचक, खोखना, मुकरौता, सदरपुर, रूपसपुर सहित मखदुमपुर पंचायत के छीतर बिगहा, बेरमा, मेढ़मा और झड़हपर गांवों में साफ दिखाई दे रहा है। इन इलाकों के खंधों में बाढ़ का पानी भर जाने से गर्मा धान और मक्का की पूरी फसल बर्बाद हो गई है।

किसानों की टूटी कमर
ग्रामीण किसान दीपुल कुमार ने बताया कि पिछले साल भी बाढ़ के कारण धान की फसल नष्ट हो गई थी। इस बार किसानों ने गर्मा धान और मक्का की खेती कर अपनी किस्मत आजमाई, लेकिन इस बार भी बाढ़ ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। किसानों की आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।

पशुपालकों पर दोहरी मार
बाढ़ की स्थिति ने पशुपालकों की भी परेशानी बढ़ा दी है। चारा की भारी कमी के कारण हजारों मवेशियों को भरपेट चारा नहीं मिल पा रहा है। चारे की कमी के कारण दुधारू पशुओं ने दूध देना भी कम कर दिया है। प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में चारा की आपूर्ति शुरू तो की है, लेकिन पशुपालकों का कहना है कि यह नाकाफी है।

पशुपालन विभाग द्वारा इन इलाकों में अब तक चारा कुट्टी या अन्य देखभाल केंद्रों की व्यवस्था नहीं की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि शीघ्र पशुओं के रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं की गई तो बड़ी बीमारियां फैलने की आशंका है।

प्रशासन की तैयारियां और चुनौतियाँ
हालांकि प्रशासन ने राहत शिविर, राशन और पशुओं के लिए चारा वितरण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई इलाकों में अभी भी प्रभावी मदद नहीं पहुंच सकी है।

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