अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ ।राज्य और केंद्र सरकार जहाँ एक ओर किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर नालंदा जिले के किसान बेबी कॉर्न की खेती कर भारी परेशानी झेल रहे हैं। सदर प्रखंड के कोरई, कासिमचक, श्रीरामनगर सहित दर्जनों गांवों के सैकड़ों किसानों के सामने अब बेबी कॉर्न की फसल जी का जंजाल बन चुकी है।
किसानों का कहना है कि जिला कृषि कार्यालय के निर्देश पर उन्होंने बेबी कॉर्न की खेती बड़े उत्साह से की थी। कृषि विभाग ने बीज भी अनुदानित दर पर उपलब्ध कराए थे। लेकिन अब जब फसल तैयार हो गई है, तो उसका कोई खरीदार नहीं मिल रहा है। किसान अपनी उपज लेकर दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें उचित कीमत नहीं मिल रही है।
कोरई गांव के किसान उमेश प्रसाद और श्रीरामनगर के जालंधर महतो समेत कई किसानों ने बताया कि शहरी खरीदार यह कहकर मना कर रहे हैं कि बेबी कॉर्न की बिक्री केवल शादी-ब्याह के मौसम में होती है, इसलिए वे इसकी खरीदारी नहीं कर सकते।
वहीं कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र, हरनौत जाकर फसल बेचने की सलाह दे रहे हैं। लेकिन वहां भी किसानों को न तो उचित दाम मिल रहा है और न ही उन्हें सम्मानपूर्वक व्यवहार मिल रहा है। किसानों ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र ने आधी से ज्यादा फसल को खारिज कर दिया और जो फसल खरीदी गई, वह भी औने-पौने दाम पर।
इस पूरे प्रकरण से किसान हताश और निराश हैं। उनका कहना है कि उन्होंने समय रहते जिला कृषि पदाधिकारी और संबंधित अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी, ताकि उन्हें आर्थिक नुकसान न उठाना पड़े। बावजूद इसके अब तक कोई समाधान नहीं निकाला गया है और अधिकारी मौन बने हुए हैं।
किसानों ने मांग की है कि प्रशासन इस मुद्दे पर शीघ्र संज्ञान ले और उनकी उपज को उचित बाजार और मूल्य दिलाने की व्यवस्था करे, अन्यथा भविष्य में वे इस तरह की फसल से किनारा कर लेंगे।