केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केवीके के प्रयासों की सराहना की, किसानों के लिए छह सूत्रीय रणनीति पर किया जोर

Written by Sanjay Kumar

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अपना नालंदा संवाददाता
हरनौत। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में सोमवार को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली से वर्चुअल संवाद किया।

केवीके के गृह वैज्ञानिक सह प्रभारी डॉ. ज्योति सिन्हा ने बताया कि केंद्रीय मंत्री की पहल पर आयोजित इस अभिनव संवाद कार्यक्रम में केवीके के चल रहे प्रयासों, उनकी भूमिका और भविष्य की कार्ययोजनाओं को लेकर व्यापक चर्चा हुई। मंत्री श्री चौहान ने केवीके से किसान उन्मुख प्रयासों में तेजी लाने की अपील करते हुए कहा कि खेती-किसानी की उन्नति में केवीके सशक्त माध्यम बनें।

उन्होंने कहा कि केवीके कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। खरीफ की बुआई से पहले केवीके को आईसीएआर और राज्य सरकारों के साथ मिलकर किसान जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और किसानों के हितों के मद्देनजर उत्पादकता बढ़ाने पर भी विशेष जोर दिया।

कार्यक्रम में वैज्ञानिकों ने केवीके की उपलब्धियों के साथ-साथ अपने सुझाव भी प्रस्तुत किए। आईसीएआर-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोधपुर (राजस्थान), हैदराबाद (आंध्र प्रदेश), पटना (बिहार), जबलपुर (मध्य प्रदेश) के अलावा मंडी (हिमाचल प्रदेश), नंदुरबार (महाराष्ट्र), खुर्दा (ओडिशा), मोरीगांव (असम) और लक्षद्वीप के केवीके प्रमुखों ने भी अपनी क्षेत्रीय उपलब्धियों और भावी योजनाओं के बारे में केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट और उप महानिदेशक (प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह ने कार्यक्रम की शुरुआत में केवीके की रूपरेखा प्रस्तुत की।

अपने संबोधन में मंत्री चौहान ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए अभियान के रूप में कार्य करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि भारत की लगभग 45 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी है और हमारी जीडीपी का लगभग 18 प्रतिशत भाग कृषि से आता है। इसलिए इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए प्रभावशाली प्रयास जरूरी हैं।

उन्होंने किसानों के क्षमता निर्माण प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अच्छे प्रशिक्षण और जागरूकता से किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया जा सकता है। उन्होंने मृदा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करने और किसानों को उचित सलाह देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

कृषि मंत्री ने किसानों के हित में छह सूत्रीय रणनीति — उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, फसलों का उचित मूल्य दिलाना, फसल क्षति की भरपाई, खेती का विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने — पर मार्गदर्शन दिया।

उन्होंने प्राकृतिक खेती में उच्च मानक स्थापित करने, खाद्यान्न उत्पादन के लिए बेहतर बीजों, नई तकनीकों के प्रयोग तथा नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन द्वारा किसानों को और अधिक लाभ पहुंचाने की दिशा में कार्य करने की अपील की।

इस कार्यक्रम के दौरान मृदा विभाग के वैज्ञानिक डॉ. यू.एन. उमेश, पशु चिकित्सा विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. विद्या शंकर सिन्हा समेत अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

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