उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना: डीईओ नालंदा एवं विधि प्रभारी पर वेतन निकासी में अनियमितता का आरोप, जांच की मांग तेज

Written by Sanjay Kumar

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अखिलेंद्र कुमार
बिहारशरीफ(अपना नालंदा)।माननीय उच्च न्यायालय, पटना द्वारा CWJC No-24722/2018 में 20 सितंबर 2024 को पारित आदेश की अवहेलना का मामला सामने आया है। आदेश में स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि जब तक शिक्षिका नीरा कुमारी को उनका बकाया वेतन नहीं मिल जाता, तब तक जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) नालंदा एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना स्वयं अपना वेतन नहीं ले सकते। इसके बावजूद, डीईओ नालंदा द्वारा वेतन की निरंतर निकासी की जा रही है, जिससे न्यायालय के आदेश की खुली अवहेलना का संकेत मिलता है।

इस मामले में डीईओ कार्यालय के विधि प्रभारी फनी मोहन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। शिकायतकर्ता राजकुमार पासवान ने आरोप लगाया है कि डीईओ के पदभार ग्रहण करने के बाद से ही कई प्रकार की अनियमितताएं सामने आई हैं। इनमें शिक्षकों का अवैध रूप से प्रधानाध्यापक पद पर पदस्थापन, बेंच-डेस्क खरीद में अनियमितता और संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों को वेतन लाभ से वंचित रखना शामिल है।

शिक्षिका नीरा कुमारी, निवासी अलीपुर, प्रखंड परवलपुर द्वारा दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने उन्हें बकाया वेतन देने का आदेश दिया था। इसके साथ ही डीईओ और कार्यक्रम पदाधिकारी को वेतन लेने से रोक दिया गया था। इसके बावजूद वेतन निकासी दर्शाता है कि न्यायिक आदेश को गंभीरता से नहीं लिया गया।

शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि कई अन्य शिक्षकों को भी न्यायालय के आदेश के बावजूद अब तक बकाया वेतन नहीं दिया गया है। विधि प्रभारी फनी मोहन पर आरोप है कि वे जानबूझकर मामलों को लटकाने के लिए एलपीए (Letters Patent Appeal) दायर कर देरी करा रहे हैं। उदाहरणस्वरूप, LPA No-16/2021 को उच्च न्यायालय द्वारा 19 फरवरी 2025 को खारिज कर दिया गया, फिर भी वेतन का भुगतान नहीं किया गया।

राजकुमार पासवान ने यह भी कहा है कि जो शिक्षक रिश्वत देने में असमर्थ हैं, उन्हें मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने CWJC No-18128/2022 (राजेन्द्र प्रसाद बनाम राज्य सरकार) का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रवृत्ति गंभीर चिंता का विषय है।

शिकायतकर्ता की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

  1. माननीय न्यायालय के आदेश की अवहेलना के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं विधि प्रभारी फनी मोहन के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
  2. विधि प्रभारी श्री फनी मोहन की नियुक्ति से लेकर अब तक की सभी गतिविधियों की उच्च स्तरीय स्वतंत्र जांच कराई जाए।

शिकायतकर्ता ने इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि न्यायपालिका की गरिमा बनी रहे और पीड़ित शिक्षकों को न्याय मिल सके।

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