दिनकर केवल कवि नहीं, बल्कि युगद्रष्टा थे — प्रो. रामजी सिंह

Written by Sanjay Kumar

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51वीं पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में दिनकर साहित्य की प्रासंगिकता पर हुई चर्चा, ‘रश्मिरथी’ का हुआ भव्य मंचन

संजय कुमार
पटना(अपना नालंदा)।बापू सभागार, पटना में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 51 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में वक्ताओं ने उन्हें केवल एक महान कवि नहीं, बल्कि युगद्रष्टा बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गांधीवादी विचारक एवं पूर्व सांसद प्रो. रामजी सिंह ने कहा कि दिनकर का साहित्य अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देता है और युवाओं में राष्ट्रभक्ति व संघर्षशीलता की भावना को जाग्रत करता है।

कार्यक्रम की शुरुआत दिनकर जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर और दीप प्रज्वलन से की गई। संगोष्ठी का मुख्य विषय था: “वर्तमान समय में दिनकर साहित्य की प्रासंगिकता”, जिसमें देशभर के विद्वानों, साहित्यकारों, विचारकों एवं राजनेताओं ने भाग लिया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने दिनकर को “लोक चेतना का कवि” बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं जैसे ‘रश्मिरथी’ और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, आज के सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। उन्होंने सिमरिया घाट के पास बन रहे पुल का नाम ‘दिनकर सेतु’ रखने और उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी की।

प्रो. सुनैना सिंह (पूर्व कुलपति, अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय) ने कहा कि दिनकर का साहित्य समकालीन समाज का दर्पण है। उन्होंने शोषण, अन्याय और दमन के विरुद्ध अपनी लेखनी को आवाज़ बनाया, जो आज भी आमजन को सच्चाई के पक्ष में खड़े होने की प्रेरणा देता है।

इस अवसर पर दिनकर साहित्य से जुड़ी दो पुस्तकों — "सचल हिमालय दिनकर" (लेखक बलबीर सिंह करुण) और "थोड़ा थोड़ा पुण्य, थोड़ा थोड़ा पाप" (लेखक केदारनाथ सिंह) का लोकार्पण भी किया गया।

विशिष्ट अतिथियों में शामिल रहे बलबीर सिंह करुण, प्रो. कमलनाथ मिश्र, रमाकांत शर्मा, डॉ. अजय कुमार, प्रो. सुभाष चंद्र राय, मंत्री अशोक चौधरी, डॉ. संजय कुमार, डॉ. संजय पंकज, ऋत्विक उदयन समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने दिनकर की साहित्यिक विरासत पर अपने विचार रखे।

राष्ट्रकवि दिनकर सम्मान से इस अवसर पर सम्मानित किए गए—
पद्मविभूषण डॉ. बिंदेश्वर पाठक, पद्मश्री आचार्य किशोर कुणाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर, दिवंगत रामविलास पासवान, फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली, लेखक खान सर, एवं बलबीर सिंह करुण।

‘रश्मिरथी’ का नाट्य मंचन बना मुख्य आकर्षण
कार्यक्रम में मुंबई के प्रख्यात रंगकर्मी मुजीब खान के निर्देशन में दिनकर की कालजयी रचना ‘रश्मिरथी’ का भव्य नाट्य मंचन किया गया। कलाकारों ने ओजस्वी संवादों, पारंपरिक संगीत और जीवंत अभिनय से कर्ण के संघर्ष, आत्मगौरव और त्याग को मंच पर सजीव किया। मंच सज्जा, प्रकाश व्यवस्था और पारंपरिक वेशभूषा ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।

इस मंचन ने न केवल दर्शकों को कर्ण के चरित्र से जोड़ने का कार्य किया, बल्कि उन्हें भारतीय साहित्य, संस्कृति और समाज के आदर्श मूल्यों से भी परिचित कराया। यह प्रस्तुति दिनकर को एक सांस्कृतिक श्रद्धांजलि के रूप में यादगार बन गई।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया, जबकि डॉ. श्रीकृष्णा सिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष संतोष कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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