अपना नालंदा संवाददाता बिहारशरीफ।संविधान-आजादी-न्याय सुरक्षा सप्ताह के तहत ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमेन्स एसोसिएशन (ऐपवा) और एक राजनीतिक दल के संयुक्त बैनर तले न्याय मार्च का आयोजन किया गया।
यह मार्च कोमल पासवान, काजल मंडल और स्नेहा कुशवाहा को न्याय दिलाने की मांग को लेकर आयोजित किया गया था।मार्च की शुरुआत पार्टी के जिला कार्यालय, कमरुद्दीन गंज से हुई, जो एलआईसी कार्यालय और सरकारी बस स्टैंड होते हुए अस्पताल चौराहा तक पहुँचा।
वहाँ मार्च एक जनसभा में तब्दील हो गया, जिसमें वक्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा प्रहार किया।सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा तो दिया, लेकिन आज देश की बेटियाँ खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
बलात्कार और हत्या जैसी जघन्य घटनाओं में अक्सर सत्ताधारी दल के नेताओं के नाम सामने आते हैं, और दोषियों को दंडित करने की बजाय उन्हें फूल-माला पहनाकर स्वागत किया जाता है।वक्ताओं ने हाल की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि—सासाराम की छात्रा स्नेहा कुशवाहा की बनारस में हत्या,होली के दिन लोजपा नेता के परिवार द्वारा 12 वर्षीय कोमल पासवान की गाड़ी से कुचलकर हत्या,पूर्णिया में 14 वर्षीय काजल मंडल का बलात्कार और हत्या,
उसी दिन पूर्णिया में ही 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म,औरंगाबाद के नवीनगर में 12 और 14 वर्ष की चंद्रवंशी समुदाय की दो बहनों के साथ बलात्कार की कोशिश और बर्बर मारपीट,बेगूसराय में एसिड अटैक की घटना —ये सभी घटनाएँ दलित, पिछड़े और वंचित समुदाय की महिलाओं और बच्चियों के साथ लगातार हो रही हिंसा को उजागर करती हैं।
वक्ताओं ने कहा कि भाजपा-जदयू के शासन में सामंती ताकतों का मनोबल बढ़ा है और समाज को एक बार फिर बर्बर सामंती युग की ओर ले जाने का प्रयास हो रहा है। ऐसे समय में सभी न्यायप्रिय लोगों को मिलकर इस व्यवस्था का विरोध करना होगा।इस मार्च का नेतृत्व मकसूदन शर्मा, मुन्नी लाल यादव, गिरजा देवी, रूबी देवी, सुनील कुमार, रामधारी दास, महेन्द्र प्रसाद, रामप्रीत केवट, सुनील पासवान, शैलेश यादव, बाढ़न पासवान, शिव शंकर प्रसाद और बखोरी प्रसाद ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिला और पुरुष सहभागी बने।




