भगवान महावीर की 2624वीं जयंती पर कुंडलपुर में भव्य रथयात्रा, आंधी-बारिश के कारण सांस्कृतिक संध्या स्थगित

Written by Subhash Rajak

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अपना नालंदा संवाददाता
बिहारशरीफ । नालंदा जिले के कुंडलपुर स्थित भगवान महावीर स्वामी की जन्मस्थली पर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की 2624वीं जन्म जयंती ध्वजारोहण और भव्य रथ यात्रा के साथ श्रद्धा एवं उल्लास के माहौल में शुरू हुई। इस रथ यात्रा में सैकड़ों जैन श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भगवान महावीर के बाल स्वरूप की झांकी को नगर भ्रमण कराया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने धार्मिकता, भारतीय संस्कृति और भगवान महावीर के विचारों का जीवंत प्रदर्शन किया।

कुंडलपुर मंदिर परिसर में पहुंचकर श्रद्धालुओं ने भगवान महावीर की प्रतिमा का पंचामृत से मस्तकाभिषेक किया और विशेष पूजा-अर्चना की। मंदिर परिसर धार्मिक भक्ति और श्रद्धा के वातावरण से गूंज उठा।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत संध्या में पर्यटन विभाग द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाना था, जिसमें देश के ख्यातिप्राप्त कलाकारों को भगवान महावीर के जीवन दर्शन और “अहिंसा परमो धर्म” के संदेश को प्रस्तुत करना था। लेकिन मौसम की खराबी, विशेष रूप से तेज आंधी और बारिश के कारण यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया।

भगवान महावीर का जीवन-दर्शन:
राजकुमार वर्धमान ने मात्र 30 वर्ष की आयु में वैराग्य धारण कर संसार का त्याग किया और आत्मकल्याण के मार्ग पर चल पड़े। उन्होंने 12 वर्षों तक मौन साधना और कठोर तपस्या की, जिसके पश्चात राजगृह के समीप त्रिजुपालिका नदी के तट पर स्थित शालवृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।

ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने 30 वर्षों तक देशभर में भ्रमण कर स्थानीय भाषाओं में उपदेश दिए और पंचशील सिद्धांत—अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह—का प्रचार किया। उन्होंने अनेकांतवाद, सहिष्णुता और शांति का संदेश दिया।

72 वर्ष की आयु में भगवान महावीर ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया और अमर तत्व बन गए। उनके दिखाए मार्ग आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और विश्व में अमन-शांति की स्थापना का आधार बन सकते हैं।

कुंडलपुर जैन धर्मावलंबियों के लिए केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि भगवान महावीर के जीवन और दर्शन की जीवंत स्मृति है।

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